मेरे सावन में तुम
भावों की बदली बन कर
रुक-रुक , रह-रह कौंधती
तड़ित सी चीरती-फारती
सुन्न करती वेदना को
फिर आँखों से बरसती
बूंद-बूंद बहती दरिया सी
प्रवाह कभी मंद,कभी तीव्र
किसी अज्ञात महाकर्षण की ओर
अज्ञात किन्तु सतत
बोध कुछ और होने का
भीतर की पुकार
गर्म ज्वाला सी फूटती
फैलता लावा
वह होने में
फिर अपूर्णता का बोध
करता बारम्बार विस्फोट
मेरे होने की ज्वालामुखी
वह सिर्फ तुम..सिर्फ तुम.
पहली बार आपको पढ़ा.
ReplyDeleteआपकी प्रोफाइल में भी आपके बारे में कुछ लिखा हुआ नहीं दिखा.
शुभकामनायें...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..शुभकामनाएं !
ReplyDeleteप्रभावी ... मन के भाव सहज हो उतार दिए ...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति..शुभकामनाएं !
ReplyDeleteBLOG PAHELI
एक ही सांस उसांस में सारी रचना उड़ेल दी आपने . ओ !मीत मेरे , भाईमेरे , आप लोगों ने हौसला बंधाया हुआ है वरना एक श्रेष्ठ वरिष्ठ ,नेक नागरिक की गिरती सेहत ....हम सबको विचलित करने लगी है ..कब तक रुकेगा यह लावा अन्दर .....इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार ./ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com
ReplyDeleteTuesday, August 23, 2011
इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार .
जिस व्यक्ति ने आजीवन उतना ही अन्न -वस्त्र ग्रहण किया है जितना की शरीर को चलाये रखने के लिए ज़रूरी है उसकी चर्बी पिघलाने के हालात पैदा कर दिए हैं इस "कथित नरेगा चलाने वाली खून चुस्सू सरकार" ने जो गरीब किसानों की उपजाऊ ज़मीन छीनकर "सेज "बिछ्वाती है अमीरों की ,और ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था जिसने खड़ी कर ली है जो गरीबों का शोषण करके चर्बी चढ़ाए हुए है .वही चर्बी -नुमा सरकार अब हमारे ही मुसलमान भाइयों को इफ्तियार पार्टी देकर ,इफ्तियार का पुण्य भी लूटना चाहती है ।
अब यह सोचना हमारे मुस्लिम भाइयों को है वह इस पार्टी को क़ुबूल करें या रद्द करें .उन्हें इस विषय पर विचार ज़रूर करना चाहिए .भारत देश का वह एक महत्वपूर्ण अंग हैं ,वाइटल ओर्गेंन हैं .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com//......
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
Posted by veerubhai on Sunday, August 21
२३ अगस्त २०११ १:३६ अपराह्न
अच्छा लगा आपके यहां आ'कर …
ReplyDeleteसुंदर भाव , सुंदर कविता !
हार्दिक शुभकामनाएं !
सुन्दर प्यार !
ReplyDeleteकेदारनाथ अग्रवाल की कवित- हे मेरी तुम , याद आ गई:)
ReplyDeleteकौन है इस ज्वाजल्यमान प्रेरणा परिपूर्ण पंक्तियों का रचयिता ?
ReplyDeleteआह्लादित हूँ इतनी सुन्दर कविता पढ़कर.
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